शुभांशु शुक्ला का स्टेम सेल प्रयोग न केवल अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत के लिए, बल्कि कैंसर जैसे गंभीर रोगों के इलाज में भी उम्मीद जगाता है. अगर यह धरती पर लागू हो गया, तो लाखों मरीजों की जिंदगी बचाई जा सकती है. यह शोध भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान देगा. चिकित्सा विज्ञान में क्रांति ला सकता है.
फ्लाइट इंजन की लाइफ एक्सपायरी डेट पर नहीं, फ्लाइट साइकिल और रखरखाव पर निर्भर करती है. जानिए फ़्लाइट का इंजन बनाने वाली कंपनियां क्या दावा करती हैं.
भारत के प्रमुख महानगर अब एक नए खतरे की चपेट में हैं- ग्राउंड-लेवल ओजोन प्रदूषण. ओजोन प्रदूषण सिर्फ गर्मियों तक सीमित नहीं, बल्कि साल भर की समस्या बन रहा है. CSE की रिपोर्ट हमें चेतावनी देती है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो यह स्वास्थ्य और खेती पर गहरा असर डालेगा.
विमान के इंजन की कोई निश्चित एक्सपायरी डेट नहीं होती, बल्कि उनकी उम्र फ्लाइट साइकिल और आवर्स पर निर्भर करती है. रोल्स-रॉयस, जनरल इलेक्ट्रिक जैसी कंपनियां दावा करती हैं कि उनके इंजन 20000-50000 घंटे तक चल सकते हैं. रखरखाव से उम्र बढ़ती है. सख्त नियमों और जांच से सुरक्षा सुनिश्चित होती है, जिससे इंजन विश्वसनीय रहते हैं.
लेबनान 80 वर्षों में अब तक के सबसे बुरे सूखे का सामना कर रहा है. लेबनान के लिटानी नदी पर स्थित सबसे बड़े जलाशय का जल निम्न स्तर पर पहुंच गया है. जिससे कृषि उत्पादन, बिजली उत्पादन और घरेलू जल आपूर्ति पर बड़ा ख़तरा है. भूजल संसाधनों में भारी कमी के कारण जल संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं.
शुभांशु की वापसी पर प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं पूरे देश के साथ ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का उनकी ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा से पृथ्वी पर वापसी के लिए स्वागत करता हूं. शुभांशु ने अपने समर्पण, साहस से अरबों सपनों को प्रेरित किया है. ये हमारी अपनी मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन गगनयान की दिशा में एक मील का पत्थर है.”
Shubhanshu Shukla ने International Space Station पर 18 दिनों में कौन-कौन से प्रयोग किए?
करीब 41 साल पहले, अप्रैल 1984 में, अंतरिक्ष में जाने वाले भारत के पहले शख्स विंग कमांडर राकेश शर्मा, सोवियत सैल्यूट 7 अंतरिक्ष स्टेशन के अपने मिशन के बाद सोयूज टी-10 कैप्सूल पर सवार होकर कजाकिस्तान पहुंचे थे.
अंतरिक्ष से लौटने पर PM Modi ने Shubhanshu Shukla को दी बधाई, कहा- “गगनयान मिशन की दिशा में मील का पत्थर”
शुभांशु शुक्ला 18 दिनों तक स्पेस स्टेशन पर रहे. इस दौरान वो 60 अलग-अलग एक्सपेरिमेंट का हिस्सा बने. ISRO के सात प्रयोग किए. पीएम नरेंद्र मोदी, इसरो चीफ और स्कूल के बच्चों से बात की. उनके मिशन वैज्ञानिक शोध, जनसंपर्क और भारत के गगनयान मिशन के लिए तैयारी शामिल थी.
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अंतरिक्ष से चार अंतरिक्ष यात्रियों की धरती पर सकुशल वापसी हुई है. इस मिशन की कमांडर पेग वुड्सन सबसे पहले बाहर निकलीं। इसके बाद भारत के पायलट शुभांशु शुक्ला ने स्पेसक्राफ्ट ड्रैगन से धरती पर कदम रखा. शुभांशु शुक्ला की वापसी पर लखनऊ में उनके परिवार में खुशी का माहौल है. परिवार वालों ने तालियां बजाकर उनका स्वागत किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, "शुभांशु शुक्ला ने अपने समर्पण, साहस और अग्रणी भावना से करोड़ों सपनों को प्रेरित किया है. यह हमारे अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन- गगनयान की दिशा में एक और मील का पत्थर है."
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला 18 दिन अंतरिक्ष में बिताने के बाद पृथ्वी पर लौट आए हैं. उनका स्पेसक्राफ्ट ड्रैगन कैलिफोर्निया के प्रशांत महासागर में सफलतापूर्वक स्प्लैशडाउन हुआ. इस ऐतिहासिक वापसी के दौरान उनकी मां की आंखों में खुशी के आंसू साफ दिखाई दिए, जो उनके बेटे की सुरक्षित वापसी पर उनकी भावनाओं को बयां कर रहे थे.